आत्मसंप्रत्यय और शैक्षिक सफलता: कला, विज्ञान एवं वाणिज्य स्नातकों के आत्मबोध का एक विश्लेषण

Authors

  • डॉ बृजेश कुमार मिश्र बयालसी महाविद्यालय, जलालपुर, जौनपुर (संबद्ध वीर बहादुर सिंह पूर्वाञ्चल विश्वविद्यालय, जौनपुर, उत्तर प्रदेश)
  • प्रकाश चन्द्र कसेरा बयालसी महाविद्यालय, जलालपुर, जौनपुर (संबद्ध वीर बहादुर सिंह पूर्वाञ्चल विश्वविद्यालय, जौनपुर, उत्तर प्रदेश) https://orcid.org/0000-0002-0031-5542

Abstract

आत्मसंप्रत्यय व्यक्ति की मानसिक संरचना का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो न केवल उसकी स्वयं की धारणा को प्रभावित करता है, बल्कि उसके व्यवहार, निर्णय लेने की क्षमता और शैक्षिक सफलता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह अध्ययन कला, विज्ञान और वाणिज्य वर्ग के स्नातक छात्रों के आत्मसंप्रत्यय की तुलना करके यह समझने का प्रयास करता है कि विभिन्न शैक्षिक क्षेत्रों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के आत्मसंप्रत्यय में क्या भिन्नताएँ हैं और ये भिन्नताएँ किन सामाजिक-सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक कारकों से प्रभावित होती हैं। अध्ययन का औचित्य इस तथ्य में निहित है कि आत्मसंप्रत्यय केवल व्यक्तिगत मानसिक धारणा नहीं, बल्कि पारिवारिक पृष्ठभूमि, शैक्षिक उपलब्धियाँ, सामाजिक अपेक्षाएँ और शिक्षण वातावरण से निर्मित होता है। भारत जैसे विविधतापूर्ण सामाजिक ढाँचे वाले देश में, जहाँ शिक्षा केवल ज्ञान अर्जन तक सीमित न रहकर सामाजिक गतिशीलता और आत्मविकास का साधन भी है, वहाँ यह आवश्यक हो जाता है कि विभिन्न शैक्षिक वर्गों के छात्रों के आत्मसंप्रत्यय की संरचना को समझा जाए। अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि विज्ञान वर्ग के छात्रों में कथित स्व और आदर्शात्मक स्व अपेक्षाकृत अधिक विकसित था, जबकि कला और वाणिज्य वर्ग के छात्रों में यह अपेक्षाकृत निम्न पाया गया। सामाजिक स्व का अकादमिक क्षेत्र से सीधा संबंध नहीं पाया गया, जो इंगित करता है कि आत्मसंप्रत्यय केवल शैक्षणिक उपलब्धियों पर आधारित नहीं होता, बल्कि बाहरी सामाजिक अनुभव भी इसे प्रभावित करते हैं। लिंग के आधार पर कथित स्व में कोई विशेष अंतर नहीं था, लेकिन आदर्शात्मक स्व और सामाजिक स्व में छात्र एवं छात्राओं के बीच अंतर देखा गया, विशेष रूप से विज्ञान वर्ग में सामाजिक स्व की भिन्नता अधिक थी। अध्ययन के निष्कर्षों से यह स्पष्ट होता है कि आत्मसंप्रत्यय और शैक्षिक सफलता के बीच घनिष्ठ संबंध है—जो छात्र आत्मसंप्रत्यय में सकारात्मक थे, उन्होंने अपनी अपेक्षाओं से अधिक प्रदर्शन किया, जबकि नकारात्मक आत्मसंप्रत्यय वाले छात्र अपनी वास्तविक क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सके। अध्यापक शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह शिक्षकों को यह समझने में सहायता करता है कि आत्मसंप्रत्यय कैसे छात्रों की सीखने की क्षमता, आत्म-प्रेरणा और शैक्षणिक उपलब्धियों को प्रभावित करता है। यह अध्ययन शिक्षा नीति-निर्माताओं और शिक्षकों के लिए एक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य कर सकता है, जिससे वे आत्मसंप्रत्यय को मजबूत करने के लिए शिक्षण पद्धतियों में सुधार कर सकें, समावेशी शिक्षण रणनीतियाँ अपना सकें और व्यक्तिगत परामर्श की व्यवस्था कर सकें। कमजोर आत्मसंप्रत्यय वाले छात्रों के लिए विशेष मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है, जिससे वे अपनी वास्तविक क्षमता को पहचान सकें और शैक्षणिक तथा व्यक्तिगत जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें। यदि शिक्षा प्रणाली आत्मसंप्रत्यय के निर्माण को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धतियों को विकसित करे, तो यह छात्रों के समग्र विकास को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इस अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि आत्मसंप्रत्यय केवल व्यक्तिगत धारणा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और शैक्षिक कारकों से प्रभावित होता है, और इसे विकसित करने के लिए शिक्षकों एवं नीति-निर्माताओं को संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जिससे शिक्षा व्यवस्था अधिक समावेशी और प्रभावी बन सके।

Keywords:

आत्मसंप्रत्यय, आदर्शात्मक स्व, कथित स्व,, सामाजिक स्व, शैक्षिक क्षेत्र

Author Biographies

डॉ बृजेश कुमार मिश्र , बयालसी महाविद्यालय, जलालपुर, जौनपुर (संबद्ध वीर बहादुर सिंह पूर्वाञ्चल विश्वविद्यालय, जौनपुर, उत्तर प्रदेश)

डॉ बृजेश कुमार मिश्र

सह आचार्य

एवं

प्रकाश चन्द्र कसेरा

सहायक आचार्य

बयालसी महाविद्यालय, जलालपुर, जौनपुर

(संबद्ध वीर बहादुर सिंह पूर्वाञ्चल विश्वविद्यालय, जौनपुर, उत्तर प्रदेश)

+91-8318138580

[email protected]

प्रकाश चन्द्र कसेरा, बयालसी महाविद्यालय, जलालपुर, जौनपुर (संबद्ध वीर बहादुर सिंह पूर्वाञ्चल विश्वविद्यालय, जौनपुर, उत्तर प्रदेश)

डॉ बृजेश कुमार मिश्र

सह आचार्य

एवं

प्रकाश चन्द्र कसेरा

सहायक आचार्य

बयालसी महाविद्यालय, जलालपुर, जौनपुर

(संबद्ध वीर बहादुर सिंह पूर्वाञ्चल विश्वविद्यालय, जौनपुर, उत्तर प्रदेश)

+91-8318138580

[email protected]

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Published

27.08.2025
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How to Cite

आत्मसंप्रत्यय और शैक्षिक सफलता: कला, विज्ञान एवं वाणिज्य स्नातकों के आत्मबोध का एक विश्लेषण. (2025). Bhartiya Knowledge Systems, 3(1), 29-52. https://apu.res.in/index.php/bks/article/view/66

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आत्मसंप्रत्यय और शैक्षिक सफलता: कला, विज्ञान एवं वाणिज्य स्नातकों के आत्मबोध का एक विश्लेषण. (2025). Bhartiya Knowledge Systems, 3(1), 29-52. https://apu.res.in/index.php/bks/article/view/66